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भजन

श्री हरि स्त्रोतम

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं नभोनीलकायं दुरावारमायं सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं || सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं हसच्चारुवक्त्रं  भजेऽहं भजेऽहं || रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं जलान्तर्विहारं धराभारहारं चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं ध्रुतानेकरूपं  भजेऽहं भजेऽहं || जराजन्महीनं परानन्दपीनं समाधानलीनं सदैवानवीनं जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं || कृताम्नायगानं खगाधीशयानं विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं || समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं …

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चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है

माता जिनको याद करे, वो लोग निराले होते हैं | माता जिनका नाम पुकारे, किस्मत वाले होतें हैं || चलो भुलावा आया है, माता ने बुलाया है | ऊँचे परबत पर रानी माँ ने दरबार लगाया है || सारे जग मे एक ठिकाना, सारे गम के मारो का, रास्ता देख रही है माता, अपने आख के तारों का | मस्त …

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भज हूँ रे मन श्री नन्द नंदन अभय चरण

भज हूँ रे मन श्री नंद नंदन अभय चरण अरविंद रे । दुर्लभ मानव जनम सतसंगे, तर आये भव सिंध रे । शीत आ तप मात बरीशन, एह दिन यामनी जाग रे । विफले से बिनु कृपण दुर्जन, चपल सुख नव लाग रे । श्रवण र्कीतन स्मरण वंदन, बाद से मन दास रे । पूजन सकी जन आत्म निवेदन, गोविन्द …

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राम दरबार है जग सारा

राम दरबार है जग सारा राम ही तीनो लोक के राजा, सबके प्रतिपला सबके आधारा राम दरबार है जग सारा. राम का भेद ना पाया वेद निगम हू नेति नेति उचरा राम दरबार है जग सारा. तीन लोक में राम का सज़ा हुआ दरबार, जो जहाँ सुमिरे वहीं दरस दें उसे राम उदार. जय जय राम सियाराम. जय जय राम …

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राम जी के नाम के तो पत्थर भी तैरे

राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे, जो ना जपे राम वो हैं किस्मत के मारे. राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे, राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे !! राम जी के नाम को शिवजी ने ध्यया, तुलसी ने राम जी पर सर्बस लुटाइया कबीरा भजन कर भए मतवारे, राम जी के …

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ठुमक चलत रामचंद्र

ठुमक चलत रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां .. किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय . धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां .. अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि . तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां .. विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर . सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां .. तुलसीदास …

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Aao Aao Yashoda kay Lal

आओ आओ यशोदा के लाल . आज मोहे दरशन से कर दो निहाल . आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल .. नैया हमारी भंवर मे फंसी . कब से अड़ी उबारो हरि . कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल . आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल .. अब तो सुन लो पुकार मेरे जीवन आधार . भवसागर …

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